पर्यावरण बचाओ !
पर्यावरण बचाओ !
फैलते प्रदूषण पर आओ बात करें,
निर्वस्त्र हो रही धरा पे कुछ बात करें।
धूप की चादर कोई कब तक ओढ़े,
आओ वृक्षारोपण पर कुछ बात करें।
सोचने भर से कुछ होने वाला नहीं,
जो करते पेड़ हलाल,.उनसे बात करें।
सूख रहे हैं जल-स्रोत रोज-रोज अब,
मेघों के पर्वतों से कुछ बात करें।
उखड़ी - उखड़ी है सांसें हवाओं की,
सहमी ठिठकी फ़िज़ाओं से बात करें।
किसी शहर के वास्ते ना कटे जंगल,
आओ जल ,जंगल,जमीं की बात करें।
करते हैं सियासत कुछ विकसित देश,
उनके जमीं - आसमां से बात करें।
लाचारियों का लबादा कब तक ओढ़ेगा,
गूंगे - बहरों से टकराने की बात करें।
ख़ुदकुशी न कर ले एक दिन पर्यावरण,
चलो जहरीली हवाओं से बात करें।
लोग सो रहे हैं एटम -बम की सेज पे,
खूबसूरत दुनिया बचाने की बात करें।
रामकेश एम. यादव (कवि, साहित्यकार ), मुंबई,
ऋषभ दिव्येन्द्र
15-Jun-2023 12:40 PM
सुन्दर लिखा है आपने
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Babita patel
15-Jun-2023 12:17 PM
very nice
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वानी
15-Jun-2023 10:37 AM
Nice
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